Monday, December 31, 2018

संत सेवालाल महाराज का इतिहास


संत सेवालाल महाराज का जन्म 15 फेबुवारी 1739 के दिन गोलार डोडी तांडा ता.गुंती, जि.अनंतपुर (आंध्रप्रदेश) में हुआ ऐसा मना गया है. बंजारा समाज के महान तपसी भगवान संत सेवालाल महाराज अन्नपढ़ भटक्या जाती के संत गौरबंजारा समाज के मार्गदर्शक, समाज सुधारक, क्रांतिकारी भगवंत थे.बंजारा समाज के एक गाव में पशुपालन कुटुंब से पिता भीमा नायक रामावत और माता धर्मनी के पेट से जन्म हुआ है.
बंजारा समाज के कुलदैवत संत सेवालाल महाराज सत्यपुरुष और पराक्रमी महात्मा हो कर गये. बंजारा समाज के संत सेवालाल महाराज दिली के नवाब गुलाबखान आगे नहीं झुके और उनकी सरथ को नहीं माने युद्ध में गुलाबखान का पराभव होने के बाद उसके 9313 सैनिको को मौत की घाट उतारे इस सैनिको मरनेवाले शूरवीर पराकर्मी योद्धा बंदु,पूरा,उमला,हाप्पा,वाघु,खेमा, नाथा और स्वयंम बंजारा भगवंत सेवालाल महाराज भी थे.
दिली नवाबा का पराभव करने के बाद सेवाभाया ने दिली का राज्य जित गये. सेवालाल ने ऐसी घटनाओं का कारनामा समाज के आगे प्रेरणादायक घटना थी . बंजारा समाज के तरुण लड़को लिए अनिष्ट अघोरी दह्शतवादी समूह का नास करनेवाले पराकर्मी शुर युद्या थे.
ऐसी सन्देश देनेवाले संत सेवालाल महाराज सामाजिक कार्य करने वाले सेवालाल महाराज का नाम आगे आता है. संत सेवालाल महाराज में अपनी बंजारा बोलीभासे में उपदेश किया है.
अठराव्या शतक में राजसता स्थिर नहीं थी उसके कारन बंजारा समाज के लोगो ने लदनी लादाने का कम मिलने की ग्यारंटी नहीं थी कही लोग उपासमार की वजसे गुन्हा करने लगे कई लोगो चोरी करने लगे. संत सेवालाल महाराज ने चोरी करने वाले के लिए महाराज ने कहा की हम मेहनत करनेवाले है गुन्हेगारी करने वाले लोगो नहीं. इस से बंजारा समाज की बज्नामी हो रही है.
संत सेवालाल महाराज उपदेश करते हुए –
करिय चिर खाय कोरी, हात आये हथकड़ी
पगेमाई पड़ीये बड़ी, डोरी डोरी हिडिये
बंजारा समाज में जात पंचायत थी गौरगरीब को न्याय देने का कम तांडा के नाइक करते थे, फिर नाइक आदमी को न्याय देने का कम करता था. उसके बाद नाइक अपना स्वार्थ का कम करता था. आदमी का सत्य ही धर्म है.आदमी ने न्याय से रहना चाहिए सत्य के सामने गरीब और-श्रीमंत का भेदभाव
नहीं जिस किसी ने गरीब पर अन्याय किया है उसे उसकी सजा मिलनी चाहिए. उसे आदमी बनकर जीने का कोई तरीका नहीं उसे के बाद सेवालाल महाराज अपनी बंजारा भाषा में बोलते थे |
गौर गरीबेन दाडन खाय
साडी पीडी नरकेन जाय
आरे वनशेर दिवो कोणी रिय
गौर गरीब को तकलीफ देने वाले का भी बला नहीं होगा और उनका वंश का दिप लगाने वाले नहीं रहेगे  संत सेवालाल महाराज कहा ते

बंजारा समाज एक जगा से दूसरी जगा घुमंते थे एसे लगता की बंजारा समाज का कभी भी विकाश नहीं होगा क्यू की बंजारा समाज जंगल रनमाल घुमते थे ते इस लिए बंजारा समाज की प्रगति नहीं होने वाली थी | समाज में परिवर्तन लाने के लिए पढाई करनी जरुरी है समाज की वैचारिकता बदली है.
बंजारा समाज में देवी देवताओ पूजा की जाती है उस समय बलि देने की प्रथा इस समाज में इस समाज का रीती रिवाज में जन्म हो, मुत्यु हो,सन हो या त्यौहार हो, संस्कार विधि, विवाह हो कोनसा ही कार्यकर्म हो हार पर बलि देने की प्रथा है.संत सेवालाल महाराज ने बलि देने की प्रथा बंद करने के लिए जीवनभर पर्यत किया संत सेवालाल महाराज ने लोगो को कहा की “ कण कण में भगवान का अंश रहता है.एक जीव ने दुसरे जीव को मरने का यह आदमी का हक़ नहीं वह जगली जेसे है.
संत सेवालाल महाराज स्वंयं शाकाहारी थे. अभी भी ( जिल्हा वाशिम  ) यह समाधी के पास गुल का प्रसाद चडाया जाता है संत सेवालाल महाराज एक अहिंसा वादी थे समाज में भगवान को प्रसन करने के लिए पाच हज़ार बकरे काटे जाते है. यह प्रथा बंद करने के लिए में भी देव का भक्त हु भगवन को प्रश करने के लिए एसा  विचार समाज के सामने कहकर हिसे से दूर रहने का आवाहन किया है.भक्त के लिए भजन,कीर्तन ,संस्तंग अधिक महत्त्व दिया गया है.उसे बाद नंगारा थाली भजन, गाने से समाज की अवाड का निर्माण किया  गया है. आज के दिन हर तांडा में भजनी मडली है.हर ठिकान पर संस्थानग हो ते है .लोकसेवा ही कठिन तपस्या है. जो अदमी दुसरो के हित का सोचते है वह आदमी सबसे अच्छा है. बंजारा समाज का सुरशित तरुण हो संधू के रूप में जन जाग्रति करने के लिए संत सेवालाल महाराज ने अपनी बोली भाषा में उपदेश करते थे.
सत्य भगत हिंव्य, देवलेर पूजा करीय
कवलपटा हातेम लिय, तमेंनन
गोरमटीन वाचन वताय
नविन पीडी में बंजारा समाज में तरुण तांडयातांडयात जाने के बाद लोगो पड़ाई के धड़े देनी की जरुरत थी समाज में अनिष्ट रूडी नष्ठ करने का जेसे धारू पिने का जुगार खेलना ,चोरी करना ये सब धंदे बंद करने के लिए संत सेवालाल महाराज उपदेश देते थे.
केसुला न गुण गोर मोर जाय
बंजारा जात में सत्य,अहिसा ,न्याय ,मनुष्य जीवन में अभी भी समाज में आदर्श निर्माण है.


19 comments:

  1. Shant sevalal maharaj shacha bol gaye

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  2. भाई सेवालाल महाराज भगवान नहीं थे, वह एक क्रांतिकारी व्यक्ति थे, उन्होंने अंधविश्वास को रोकने के लिए अपना जीवन बिताया और आपने भगवान नाम को अनके नाम के आगे लगादिया, भगवान शब्द उनके सिध्दांतो के खिलाफ है, इसिलीये हम आपसे अनुरोध करते हैं कि जब भी आप महाराज का नाम लेते हैं तो आप क्रांतिकारी सेवालाल महाराज का उपयोग करें।

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    1. हमारे लिये हमारा भगवान है...

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  3. जय सेवालाल फडफड

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  4. जय सेवालाल गोर भाईवो

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  5. Jay sevalal mar gor Banjara

    Jagem Bhari 15 February

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  6. The great sevalal maharaja Ki jai

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  7. Bhai Sevalal Maharaj krantikari the

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